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लेखनी प्रतियोगिता -25-Nov-2022


ध्यान से देखो कभी जरा ये
सुंदर धरती
मानव की अभिलाषा में
दबकर प्रतिदिन मरती।

एक नन्हीं चिड़िया निकली 
दाने लेने अपने घर से
पर लौटी जब उसका 
आशियाना उजड़ चुका था
ईंटो का घर बनने को
उसका घोंसला उखड़ चुका था।

जाने किस खोज में मानव ने
धरती का कण कण छान लिया
थोड़ा पाया ज्यादा खोया
फिर खुद को बेहतर मान लिया।

क्या हो जब न हो
 ये परि आवरण
कब तक हमको झेलेगा
ये पर्यावरण।

क्या जल बिन हम रह पाएंगे
क्या शुध्द हवा मिल पाएगी
आविष्कार बहुत बेशक होंगे
पर जीवन की सुंदरता ही खो जाएगी।

ये पर्यावरण प्रकृति का 
सुंदर आभूषण है
जो भी इसको छीने
वो सभी प्रदुषण है।

अब कहाँ दीखते हैं आकाश
में टिमटिम तारे
कहाँ फुदकती गिलहरियां
तितली कहां बेचारे।

इतना आगे मत जाओ कि
वापस आ न पाओ
करो तरक्की लेकिन पहले
ये धरा बचाओ।।




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5 Comments

Rajeev kumar jha

26-Nov-2022 07:42 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Haaya meer

26-Nov-2022 07:08 PM

Superb

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Punam verma

26-Nov-2022 08:35 AM

Nice

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